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चौधरी चरण सिंह की ये स्मृतियाँ राजनीतिज्ञों, पत्रकारों, नौकरशाहों, परिवार के सदस्यों तथा उन महानुभावों ने लिखीं जिन्हें चौधरी साहब के लंबे सार्वजनिक जीवन के दौरान उनसे संवाद करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ये आख्यान चौधरी चरण सिंह के चरित्र, राजनीति, नीतियों तथा उपलब्धियों को जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हैं। इस पुस्तक में चौधरी चरण सिंह की नेतृत्व शैली के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व का वर्णन सम्मिलित है। इन लेखों को पढ़ने के पश्चात् आपके मन में कई बार प्रश्न जरूर उठेगा की ऐसा अजूबा इंसान क्या सचमुच था भी?
चौधरी साहब के विचारों का अध्ययन तथा इन विचारों का व्यवहार में प्रयोग करके समाज जरूर लाभान्वित हो सकता हैं। उन्होंने हमारे उन नागरिकों को एक उत्कृष्ट जीवन प्रदान करने की दिशा में विचार किया जो अब तक पर्याप्त पोषण, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा रोजगार प्राप्त करने में असमर्थ हैं। आज भी प्रभावशाली जीडीपी वृद्धि के आंकड़ों के पश्चात हमारी जनसंख्या का विशाल बहुमत निर्धनता की स्थिति में है। इसके अतिरिक्त, हमारे समाज का नैतिक ताना-बाना निरंतर क्षतिग्रस्त हो रहा है, तथा लगभग प्रत्येक संस्था गहन और व्यापक भ्रष्टाचार से प्रभावित है। इस परिप्रेक्ष्य में चौधरी चरण सिंह एक दूरदर्शी नेता के रूप में उभरते हैं, जिनके पास भारत के आर्थिक विकास के लिए एक स्पष्ट प्रतिमान था-एक ऐसा प्रतिमान जो मुक्त-बाजार पूँजीवाद तथा राज्य-नियंत्रित समाजवाद के दोनों अतिवादों से बचता है।
उनकी १९७९ की कृति ”भारत की अर्थनीति, एक गाँधीवादी रूपरेखा“ उनके विचारों का उत्कृष्ट प्रतिपादन करती है। इसमें उन्होंने दो प्रमुख स्तंभों को रेखांकित कियाः पहला, किसानों को लाभ पहुँचाने वाला कृषि विकास, तथा कारीगरों व भूमिहीनों के लिए गाँवों और छोटे कस्बों में वैकल्पिक रोजगार के अवसर। उनकी नीति संबंधी अनुशंसाएँ भारत की वास्तविकता में गहराई से निहित हैं। ये अनुशंसाएँ देश की विशाल जनसंख्या को संबोधित करते हैं तथा ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों के मध्य, साथ ही तथाकथित ‘उच्च’ और ‘निम्न’ जातियों के मध्य की सामाजिक असमानताओं को पाटने का प्रयास करती हैं। चरण सिंह प्रायः कहते थे कि उन्होंने एक वर्ग-युद्ध और एक जाति-युद्ध दोनों लड़े। गाँधीवादी सिद्धांतों से प्रेरित उनकी आर्थिक सोच पारिस्थितिक रूप से गाँवों का विकास की टिकाऊ नींव पर आधारित थी नाकि भारत के वर्तमान ना रहने योग्य नगरों व कस्बों के अव्यवस्थित निर्माण पर।
अपने आदर्श स्वामी दयानंद सरस्वती और महात्मा गाँधी से प्रभावित, चौधरी चरण सिंह एक उच्च चरित्र और सिद्धांतों-वाले व्यक्ति के रूप में दिखाई पड़ते हैं। निश्चित रूप से यह पुस्तक उनकी राजनीतिक असफलताओं या उनके द्वारा आकांक्षित उपलब्धियों को प्राप्त ना कर पाने की विवेचना नहीं करती। इसके लिए हमें उन स्वतंत्र विद्वानों की ओर दृष्टिपात करना होगा जिन्होंने हमारे देश के राजनीतिक इतिहास और हमारे द्वारा चुने गए नेताओं का गहरा अध्ययन किया है। फिर भी ये अध्याय एक ऐसे व्यक्ति का सजीव और प्रेरक चित्र प्रस्तुत करते हैं, जो अडिग नैतिकता तथा उच्चतम चरित्र के साथ साथ निडर होकर सदैव एक स्वतंत्र मार्ग पर चला। जो लोग सुनने और सीखने की इच्छा रखते हैं, उनके साथ संपूर्ण भारत के लिए चरण सिंह के विचार व शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं।
चरण सिंह अभिलेखागार
२३ दिसंबर २०२४
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