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विशिष्ट रचनाएं

विशिष्ट रचनाएं

१९८८, किसान ट्रस्ट
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1988

‘विशिष्ट रचनाएंः चौधरी चरण सिंह’ भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री चरण सिंह द्वारा १९३३ और १९८५ के बीच लिखित २२ महत्वपूर्ण लेखों और भाशणों का संग्रह है। इस पुस्तक के अध्ययन से आज का पाठक वर्ग जान सकेगा कि मौजूदा समय की चुनौतियां न तो नई हैं और न ही समाधानहीन। इनसे निपटने के लिए एक मन-सोच अथवा जिगरा चाहिए, जो निष्चय ही धरा-पुत्र चरण सिंह में था। उनका लेखन उस प्रकाशस्तंभ की तरह है जो समुद्र में भटके हुए जहाजों को किनारे तक आने का रास्ता दिखाता है। उनके लेखन के आलोक में हम मौजूदा चुनौतियों को सही परिप्रेक्ष्य में न केवल समझ सकते हैं अपितु उनका समाधान भी पा सकते हैं। इन लेखों में उनकी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि के दर्शन होते हैं। विषयवस्तु की दृष्टि से इन लेखों को सामाजिक लेखन, आर्थिक लेखन, राजनीतिक लेखन एवं उपसंहार - चार खण्डों में विभाजित किया गया है।

चौधरी चरण सिंह की अध्यात्मिक अंतश्चेतना और राजनीतिक मेधा महर्षि दयानन्द सरस्वती एवं महात्मा गांधी से अनुप्रेरित रही, तो सरदार पटेल उनके नायक रहे। इन विभूतियों पर चौधरी साहब ने अपने विचार लेखों में प्रस्तुत किये हैं। जाति-प्रथा, आरक्षण, जनसंख्या नियंत्रण, राष्ट्रभाषा जैसे सामाजिक मुद्दों के साथ ही शिष्टाचार जैसे विरल विशय पर भी दो लेख खण्ड एकः सामाजिक लेखन में दिये गये हैं।

चौधरी साहब भारत की उन्नति का मूल आधार कृशि, हथकरघा और ग्रामीण भारत को मानते थे। उनकी दृष्टि में ग्रामीण भारत ही वह नियामक तत्व रहा जिसे प्रमुखता देकर देष को आर्थिक रूप से सषक्त बनाया जा सकता है, साथ ही बेरोजगारी जैसी विकट समस्या को भी दूर किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश में भूमि सम्बंधी सुधारों और जमींदारी समाप्त करने को लेकर चौधरी चरण सिंह पर धनी किसानों के पक्षधर होने के आरोप विरोधियों ने लगाये। उनका उन्होंने बेहद तार्किक ढंग से उत्तर दिया है। गांव-किसान और खेती के प्रति उपेक्षापूर्ण नीतियां एवं काले धन की समस्या जैसे तथा उपरोक्त विषयों पर केन्द्रित लेख खण्ड दोः आर्थिक लेखन के अन्तर्गत दिये गये हैं।

खण्ड तीनः राजनीतिक लेखन के अन्तर्गत भारत की लम्बी गुलामी के मूल कारणों का विश्लेषण, गांधी-चिंतन, देश में पहली गैर-कांग्रेसी जनता पार्टी की सरकार की आधारभूत नीतियां, देश विख्यात माया त्यागी कांड का समाजशास्त्रीय विश्लेषण, भाषा आधारित राज्यों के खतरे आदि मुद्दों के अलावा उनके नायक सरदार पटेल की स्मृति पर आधारित लेख हैं। इसी खण्ड में चौधरी साहब के ऐतिहासिक महत्व के दो भाषण भी संकलित हैं, जो लोकशाही पर संकट और राष्ट्रीय विघटन के खतरों के प्रति सचेत करते हैं।

अंतिम खण्ड चारः उपसंहार है, जिसमें चौधरी साहब ने राजनीति, समाज नीति और देश से सम्बंधित अधिकतर मुद्दों पर संक्षेप में अपने विचार प्रस्तुत किये हैं।

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Ch_1-2 स्वामी दयानन्द - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.71 MB
Ch_3 शिष्टाचार - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.75 MB
Ch_4 बाते हाथी पाइये, बाते हाथी पांव - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.74 MB
Ch_5 सरकारी सेवाओं में किसान-संतान के लिए - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.77 MB
Ch_6 जाति-प्रथा - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.74 MB
Ch_7 जनसंख्या-नियंत्रण - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.73 MB
Ch_8-9 कृषि विपणन - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.73 MB
Ch_10 ज़मींदारी उन्मूलनः आलोचनाओं के जवाब - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.76 MB
Ch_11 काले धन का विमुद्रीकरण - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.73 MB
Ch_12 गरीबी और भाग्यवाद का सहसम्बन्ध - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.73 MB
Ch_13 भारत का बिगड़ता रूप - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.73 MB
Ch_14 हमारी गुलामी के कारण - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.73 MB
Ch_15 गाँधी और गांधीवाद - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.75 MB
Ch_16 हमारा सरदार - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.71 MB
Ch_17 तानाशाही को खुली चुनौती - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.78 MB
Ch_18 नई सरकार के उद्देश्य - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.72 MB
Ch_19 सविनय अवज्ञा की घड़ी - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.72 MB
Ch_20 पंजाब समस्याः एक निर्भीक चिंतन - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.75 MB
Ch_21 भाषायी राज्यों का गठन - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.72 MB
Ch_22 मेरी प्रतिबद्धता - चौधरी चरण सिंह की विशिष्ट रचनाएं.pdf1.73 MB
1988. Vishisht Rachnain, 1941-1986. Chaudhary Charan Singh. 1988.pdf24.36 MB