चरण सिंहअभिलेखागार

चरण सिंह अभिलेखागार चरण सिंह की संक्षिप्त जीवनी प्रदान करता है, जो उनके जीवन पर स्वामी दयानंद और मोहनदास गांधी के शुरुआती प्रभावों पर प्रकाश डालता है। जीवनी में स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी, उत्तर प्रदेश और बाद में दिल्ली में उनके राजनीतिक जीवन, ग्रामीण भारत में एक बौद्धिक व्यक्ति के रूप में उनके स्थायी प्रभाव और स्वतंत्रता के बाद की सरकारों के साथ वैचारिक मतभेदों के बावजूद विकास के प्रति उनके सूक्ष्म दृष्टिकोण को शामिल किया गया है।

गांधीवादी सिद्धांतों से प्रभावित चरण सिंह अपनी सादगी, ईमानदारी और नैतिक आचरण के लिए जाने जाते थे। इन गुणों ने उन्हें एक कुशल प्रशासक और भूमि कानूनों के विशेषज्ञ के रूप में ख्याति दिलाई। उन्होंने एक लोकतांत्रिक प्रणाली की वकालत की जो छोटे पैमाने के उत्पादकों और उपभोक्ताओं को एकजुट करती है, जिसका उद्देश्य भारत की गरीबी, बेरोजगारी, असमानता, जातिवाद और भ्रष्टाचार के मुद्दों को संबोधित करना है। ये चुनौतियाँ आज भी प्रासंगिक हैं।

एक विद्वान व्यक्ति के रूप में, सिंह ने ग्रामीण क्षेत्रों और कृषि पर जोर देते हुए भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करते हुए अंग्रेजी में कई किताबें, राजनीतिक पर्चे और लेख लिखे। उनके कार्य आज भी प्रासंगिक हैं, खासकर वर्तमान कृषि संकट के बीच और भारत की मुख्य रूप से ग्रामीण आबादी की जरूरतों को पूरा करने में। उल्लेखनीय रूप से, उनका सबसे पहला प्रकाशन १९४८ में उत्तर प्रदेश में "ज़मींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार समिति" की ६११-पृष्ठ की रिपोर्ट थी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कई अन्य पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें "ज़मींदारी उन्मूलन: दो विकल्प" (१९४७), "संयुक्त खेती का एक्स-रेड: समस्या और उसका समाधान" (१९५९), "भारत की गरीबी और उसका समाधान" (१९६४), "भारत की आर्थिक नीति: गांधीवादी खाका" (१९७८), और "भारत का आर्थिक दुःस्वप्न: इसका कारण और इलाज" (१९८१) शामिल हैं।

चरण सिंह का जीवन वृतांत

चरण सिंह अभिलेखागार द्वारा प्रकाशित चरण सिंह का संक्षिप्त जीवन परिचय श्री सिंह के जीवन पर स्वामी दयानन्द और मोहनदास गांधी के शुरूआती प्रभाव, उनकी स्वतंत्रता संग्राम में विसर्जित भागीदारी, उत्तर प्रदेश तदन्तर दिल्ली में उनका राजनीतिक जीवन, ग्रामीण भारत के जैविक बुद्धिजीवी के रूप में उनका स्थाई महत्व, तथा भारत की आज़ादी के बाद आई विभिन्न सरकारों से 'विकास' के अर्थ पर उनके बौद्धिक मतभेदों के होते हुए उनकी जटिल, परिष्कृत एवं सुसंगत रणनीति के विषय में पाठक को परिचित कराता है।

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