धरतीपुत्र
धरतीपुत्र
धरतीपुत्र
धरतीपुत्र
१९८६
२०२४, पेपरबैक पुनर्मुद्रण
लेखक
अनिरुद्ध पाण्डेय
प्रकाशक
चरण सिंह अभिलेखागार
बाइंडिंग
पेपरबैक
प्रकाशन भाषा
हिन्दी
₹ 799

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१९८४ में प्रकाशित यह जीवनी चौधरी चरण सिंह के व्यक्तित्व, आर्थिक और सामाजिक विचार, पारिवारिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, गावों के प्रारम्भिक पाठशाला से आगरा कॉलेज की उच्च शिक्षा, स्वतंत्रता आंदोलन में संघर्षशील भागीदारी और जेल से भारत के प्रधानमंत्री तक के सामाजिक और राजनीतिक जीवन यात्रा और विभिन्न पदों पर रहते हुए जनहित कार्यों के बारे में अवगत कराती है।

यह जीवनी कई अनसुने और अलिखित पहलुओं को शामिल कर हमको विस्तारपूर्वक और प्रमाणीकृत जानकारी प्रदान करती है। यह श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा १९७५ से १९७७ के बीच असंवैधानिक राष्ट्रीय आपातकाल (‘भादों की अमावस्या’) लगने के कारणों और उसमें हुए हुए अन्याय और अत्याचार के बारे में भी जानकारी देती है। साथ में यह जीवनी केंद्र में १९७६ में काँग्रेस के विकल्प के रूप में जनता पार्टी और १९७७ में जनता सरकार बनाने में चैधरी चरण सिंह की आधारभूत भूमिका के बारे में तथा जनता पार्टी के टूटने तथा जनता सरकार के गिरने के विभिन्न कारणों से गंभीरता से प्रकाश डालती है।

पुस्तक के विशिष्ट भाग में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चैधरी चरण सिंह की गहरी सोच साँझा की गयी है - राष्ट्रीय चरित्र, राजनीतिक भ्रष्टाचार, चरित्रहीनता, चैधरी साहब के काँग्रेस पार्टी छोड़ने के कारण, उनके सपनों का भारत, केंद्र-राज्य संबंध, पंजाब और असम की समस्या, समाजवाद के प्रश्न और भारत की अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भूमिका। लेखक ने श्री जवाहर लाल नेहरू और श्रीमती इंदिरा गाँधी के साथ चैधरी चरण सिंह के पत्रव्यवहार, १९७७ में गृह मंत्री के रूप में चैधरी चरण सिंह के एक विस्तृत साक्षात्कार, तथा लोकदल के राष्ट्रीय परिषद में चैधरी चरण सिंह का अध्यक्षीय भाषण को भी शामिल किया है।

लेखक के बारे में

अनिरुद्ध पाण्डेय उत्तर प्रदेश प्रांतीय सिविल सेवा में १९५० में चयनित हुए थे और वह १९७० के दशक में पदोन्नति से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में पहुँचे। वह प्रांतीय सेवा में अपना कार्य करते चौधरी चरण सिंह के संपर्क में आए और उनके चरित्र और विचारों से प्रभावित हुए। अवकाश के बाद पाण्डेय जी चौधरी चरण सिंह से १९८१ से १९८३ के बीच कई बार मिले और उनके जीवन और विशेषकर बचपन की यादें उतारी। इसी दौरान उन्होंने माताजी गायत्री देवी से कई महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी प्राप्त कीं।

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