लोक दल में टूट।

१९८२

लोक दल में फूट ; राजनीतिक मतभेदों के चलते उनके कई राजनीतिक साथियों ने उनका साथ छोड़ दिया।

वह विपक्षी एकता के काम में लगे रहे। भारतीय जनता पार्टी के अटल बिहारी वाजपेई के साथ उन्होंने एक चुनावी गठबंधन तैयार किया- पहला राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक गठबंधन- जो कि परस्पर विरोधी राजनीतिक आधार क्षेत्रों के चलते विफल रहा।

नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एण्ड लाइब्रेरी (एन.एम.एम.एल.) में रखे १९८२ से १९८४ की अवधि के "द चरण सिंह पेपर्स" भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा और बढ़ती असमानता, नेहरू की आर्थिक नीतियां और चरण की दृष्टि में उनकी गलत दिशा दृष्टि और आज़ादी के बाद भारतीय अभिजात्य के सोच की दिशा जैसे मुद्दों के संदर्भ से भरे पड़े हैं। वह भारत के टूटने के प्रति भी भयग्रस्त रहते थे। वह उन्हें विघटनकारी शक्तियाँ कहते थे और पंजाब में सिख समुदाय में उग्रवादी गतिविधियों के विरुद्ध दिलेरी से बोलते थे। वह इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा भिंडरावाले जैसे उग्रवादियों से ढीले-ढाले तरीके से निपटने के खिलाफ थे, वहीँ खालिस्तान की मांग का जोरदार तरीके से खुलेआम विरोध करते थे, जिसके लिए उन्हें कई बार जान से मारने की धमकियाँ भी मिलीं।