इंदिरा गांधी पर अभियोग चलाये जाने के तौर-तरीके को लेकर उभरे मतभेदों के कारण जुलाई में मोरारजी देसाई के केंद्रीय मंत्रिमंडल से निकाल दिए गए। असली कारण था सत्ता : कांग्रेस (ओ) और जनसंघ ने चरण सिंह के प्रमुख सहयोगियों को उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में तथा पार्टी की केन्द्रीय राजनीतिक इकाइयों में निष्प्रभावी बनाने की योजनाएं बनाईं । उनके सामने कोई और रास्ता न बचा था सिवाय इसके कि या तो वह पुनः संघर्ष करें अन्यथा राजनीतिक जगत में अपनी अवनति स्वीकार करें।
उन्होंने अपने ७६वें जन्म दिन पर २३ दिसंबर १९७८ को दिल्ली में बोट क्लब पर ऐतिहासिक किसान रैली की अध्यक्षता की, जिसे आज़ाद भारत के इतिहास में किसानों और ग्रामीणों की अब तक की सबसे विशाल रैली कहा गया। जनता पार्टी के लड़ते-झगड़ते नेताओं को इस बात पर सहमत होना पड़ा की वह अकेले जनाधार वाले नेता हैं, जिन्हें वापिस लिए जाने की जरुरत है।