इंदिरा गांधी के अधिनायकवादी आपातकाल में २५ जून' ७५ से मार्च १९७६ तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद रहे। जेल से रिहा होने पर आपातकाल की भर्त्सना करता हुआ और इंदिरा गांधी के विरोध को सबल बनाता २३ मार्च १९७६ को यू. पी. विधानसभा में चार घंटे तक ऐतिहासिक भाषण दिया। विपक्षी एकता कायम करने के प्रयास उन्होंने दुगुने कर दिए किन्तु मोरारजी देसाई की नेता बनने और जनसंघ को एक अलग राजनीतिक दल के रूप में अपनी पहचान बनाए रखने की आकांक्षा जैसे मुद्दों का उन्हें सामना करना पड़ा।