प्रतिभाशाली किसान मीर सिंह के पुत्र चरण सिंह की शिक्षा का श्रीगणेश जानी खुर्द से हुआ।
युवा, प्रतिभाशाली और कर्मठ किसान मीर सिंह ने पट्टे पर ली कृषि भूमि की काया पलट कर दी। अब भूस्वामी इसे ऊँची कीमत पर, जिसे अपने पसीने के बल चुकाना मीर सिंह के बूते की बात न थी, बेचना चाहता था। मीर सिंह को इसे छोड़ना पड़ा। मीर सिंह शिशु चरण सिंह को लेकर ६० किलोमीटर उत्तर में संगोत्रीय गांव भूपगढ़ी में आ बसे, जहाँ यह परिवार १९२२ तक रहा। उनके भाई २० किलोमीटर दक्षिण में एक अन्य संगोत्रीय गांव भदौला में आ बसे, दोनों गांव मेरठ जिले में पड़ते हैं। चरण सिंह ने प्रारंभिक शिक्षा भूपगढ़ी से दो किलोमीटर दूर जानी खुर्द में ग्रहण की, जहाँ वह प्रतिदन जाते थे। वह घर पर गांव के दूसरे बालकों की ही तरह थे : घर के काम-काज में हाथ बंटाना, गंडासे से पशुओं के लिए चारा काटना, कबड्डी खेलना। गांव के स्कूल की क्षमताएं सिमित होती हैं, अतः तीक्ष्ण बुद्धि चरण सिंह को एक साल के लिए १५ किलोमीटर दूर मेरठ के मॉरल ट्रेनिंग स्कूल में जाना पड़ा। इसके बाद १९१४ में मेरठ के गवर्नमेंट कॉलेज में प्रवेश लिया। नवीं कक्षा में उन्होंने विज्ञानं विषय चुना, साथ ही अंग्रेजी, अर्थशास्त्र और इतिहास में भी रुचि दिखाई। स्वामी दयानंद सरस्वती और महात्मा गांधी के व्यक्तित्व तथा कार्यक्रमों ने किशोर चरण सिंह को समान रूप से प्रभावित किया।
चरण सिंह ने १९१९ में मैट्रिक्युलेशन (हाई स्कूल) की शिक्षा पूरी की और १९२१ में इण्टरमीडिएट की परीक्षा पास की। उन पर ओजस्वी हिन्दू राष्ट्रवादी कविताओं की रचना करने वाले हिन्दी कवि मैथिली शरण गुप्त की कविता "भारत भारती" और अप्रैल १९१९ में अमृतसर मैं घटित 'जलियांवाला बाग़' कांड ने गहरे तक प्रभावित किया।
ताऊ लखपत सिंह का अध्ययनशील, होनहार चरण सिंह पर विशेष स्नेह था। उन्हें पता चला कि उनके प्रिय भतीजे की पढ़ाई उसके पिता की आर्थिक तंगी के चलते बाधित हो सकती है। उन्होंने वादा किया कि चरण सिंह की पढ़ाई पूरी करने तक उनकी शिक्षा का व्यय वह उठायेंगे।