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"मैं नहीं मानता कि जीवनी लेखक के लिए अपने अध्ययन के विषयवस्तु से दूरी बनाए रखना ज़रूरी है। मेरी अलग परवरिश एवं राजनीतिक और व्यक्तिगत मान्यताओं में अंतर के बावजूद मैं चरण सिंह के दृष्टिकोण की सराहना करता था।"
- पॉल आर ब्रास
यह पुस्तक, तीन खंडों की श्रृंखला की तीसरी और अंतिम पुस्तक है जो उत्तर भारत की राजनैतिक इतिहास को दर्शाने के साथ साथ भारत के एक महान नेता चौधरी चरण सिंह की एक निर्णायक जीवनी भी है।
यह खंड राजनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में 1967 में कांग्रेस के पतन और स्वतंत्रता के बाद पहली गैर-कांग्रेसी सरकार के गठन की राजनीतिक घटना से शुरू होता है। यह चरण सिंह और इंदिरा गांधी के बीच संघर्ष को दर्शाता है, जिसमें दोनों को महत्वपूर्ण समय पर एक-दूसरे के राजनीतिक समर्थन की आवश्यकता थी, और दोनों में से कोई भी एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करता था। एक तरफ श्रीमती गांधी सत्ता में बने रहने के दृढ़ संकल्प के साथ श्रेष्ठ रणनीतिज्ञ थी, जबकि दूसरी तरफ सिंह के लिए गांव के पक्ष में दृढ़, सिद्धांतवादी नीतियों अत्यंत आवश्यक थी, जिन्हें उन्होंने सत्ता में रहने के दौरान लागू करने की कोशिश भी की।
चरण सिंह एक सिद्धांतवादी और स्वाभिमानी व्यक्ति तथा एक समर्पित राष्ट्रवादी थे, जो एक ओर तो अपने देश से प्रेम करते थे, वहीं दूसरी ओर देश के राजनीतिक नेतृत्व द्वारा राष्ट्रीय विकास के लिए चुने गए मार्ग की निंदा भी करते थे। चरण सिंह ने अपने पूरे सार्वजनिक जीवन में शहरी उच्च वर्ग, उच्च जाति से सत्ता छीनने और निचली जातियों के पक्ष में गांधीवादी अर्थव्यवस्था का निर्माण करने का प्रयास किया। हालांकि उनकी खुद की ग्रामीण इलाके से विनम्र शुरुआत थी, वे कोई देहाती नहीं थे, बल्कि उच्च बुद्धि के स्व-निर्मित व्यक्ति थे।एक मध्यम दर्जे की स्वावलंबी किसान जाति से आते हुए, उन्होंने एक नए सामाजिक आंदोलन को रूप दिया और उत्तरी भारत की पिछड़ी जातियों के आंदोलन के प्रवक्ता बने। उन्होंने जातियों की बहुलता को एक राजनीतिक गठबंधन में ढाला जो समान वर्ग और आर्थिक हितों पर आधारित था। इस तरह उन्होंने अनेकों पिछड़ी जातियों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पॉल आर. ब्रास (1936-2022) वाशिंगटन विश्वविद्यालय, सिएटल, यूएसए में राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के प्रोफेसर एमेरिटस थे। 60 साल के करियर के दौरान, पॉल ने भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीतिक संस्कृति का अध्ययन किया, 18 किताबें लिखीं और दक्षिण एशियाई राजनीति और सामूहिक सांप्रदायिक हिंसा पर कई लेख प्रकाशित किए।
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