इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोध के केंद्र बन गए किन्तु इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को सहानुभूति वोट के रूप में मिली अभूतपूर्व विजय के चलते लोकसभा चुनाव में पार्टी हर गई।

१९८४

देश के हालात के प्रति तल्लीन रहे। लोक दल, लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय कांग्रेस, किसान मजदूर पार्टी, उत्कल कांग्रेस तथा अन्य छोटे दलों को मिलाकर २१ अक्टूबर को एक नये दल का गठन किया - दलित मजदूर किसान पार्टी।

३१ अक्टूबर १९८४ को इंदिरा गांधी की उनके सिख सुरक्षा कर्मियों द्वारा हत्या कर दी गई। राजीव गांधी ने दिसंबर में हुए लोकसभा चुनाव में भारत के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल करते हुए ५४२ में से ४११ सीटों पर जीत हासिल की।

इंदिरा गांधी की हत्या से पूर्व उनके शासन के प्रति असंतोष ने चरण सिंह को एक बार फिर विपक्षी शक्तियों के ध्रुवीकरण का केंद्र बना दिया। वह बागपत से तीसरी और अंतिम बार केवल तीन सांसदों के साथ संसद के लिए चुने गये। राजीव गांधी के प्रति "सहानुभूति लहर" में सारा विपक्ष बह गया। एक बार पुनः और अंतिम बार, इंदिरा गांधी ने चरण सिंह को परास्त कर दिया।