७ दिसम्बर को बतौर गृह एवं कृषि मंत्री उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सी.बी. गुप्ता के मंत्रिमंडल में शामिल। मुख्यमंत्री से मतभेदों के चलते, १३ मार्च १९६२ को गृह विभाग वापस ले लिया। कृषिमंत्री के पद पर १ अक्टूबर १९६३ तक कार्यरत रहे। उ.प्र. विधानसभा द्वारा भू-जोतों पर हदबंदी अधिनियम- १९६० का पारित होना, जिसमें उन्होंने प्रबल रुचि ली।
" (चरण सिंह) ..... कहते हैं कि कृषि मंत्रालय एक अत्यन्त कटा-छटा विभाग है, कतर - ब्योंत की प्रक्रिया पंत जी के समय में ही आरम्भ हो गई थी और सम्पूर्णानन्द एवं गुप्ता दोनों के शासनकाल में जारी रही।" - २१ अप्रैल १९६२ को लखनऊ में पॉल ब्रास के साथ साक्षात्कार में।
माँ नेत्र कौर ७५ वर्ष की आयु में चल बसीं।
गुरु एवं पिता तुल्य गोविन्द बल्लभ पंत का ७ मार्च १९६१ को निधन।