१९४९ में प्रकाशित "इंडियाज पावर्टी एंड इट्स सॉल्यूशन" चौधरी चरण सिंह का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। यह पुस्तक सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और पारिस्थितिकीय कारणों से मुख्य रूप से कृषि प्रधान समाज की आवश्यकता पर उनके स्पष्ट वैचारिक रुख को प्रस्तुत करती है।
यह उनकी १९५९ की पुस्तक "ज्वाइंट फार्मिंग एक्स-रेड" का एक अद्यतन संस्करण है, जिसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा भारत की कृषि नीति के रूप में बड़े पैमाने पर सहकारी खेती को अपनाने के विरोध में लिखा गया था। सिंह संयुक्त खेती की अपनी तीखी आलोचना को अद्यतन आंकड़ों और तालिकाओं के साथ और मजबूत करते हैं।
सिंह दोहराते हैं कि छोटे खेतों के साथ किसान स्वामित्व की प्रणाली भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए सर्वोत्तम है। यह प्रणाली लोकतंत्र का आधार स्तंभ है और औद्योगीकरण के बिल्कुल विपरीत जीवन शैली का भी आधार है। सिंह भारत के जमीनी स्तर से आर्थिक विकास के वैकल्पिक मॉडल का विवरण देते हैं। इसमें विकेन्द्रीकृत ग्रामीण उद्योगों, कृषि आत्मनिर्भरता और गांवों में रहने वाले अधिकांश भारतीयों की क्रय शक्ति में वृद्धि पर बल दिया गया है।