भारत की अर्थनीति:  गांधीवादी  रूपरेखा
भारत की अर्थनीति:  गांधीवादी  रूपरेखा
भारत की अर्थनीति:  गांधीवादी  रूपरेखा
भारत की अर्थनीति: गांधीवादी रूपरेखा
१९७७
२०२४, पेपरबैक पुनर्मुद्रण
लेखक
चरण सिंह
प्रकाशक
चरण सिंह अभिलेखागार
बाइंडिंग
पेपरबैक
प्रकाशन भाषा
हिन्दी
₹ 499
40% off !
- ₹ 199.6
₹ 299.4

In Stockस्टॉक में

१९७८ में प्रकाशित ”इंडियाज इकनॉमिक पॉलिसी- द गांधियन ब्लूप्रिंट“ चौधरी चरण सिंह की पुस्तक है, जो उस समय केंद्रीय गृह मंत्री और जनता पार्टी की आर्थिक नीति पर कैबिनेट कमेटी के अध्यक्ष थे। यह पुस्तक भारत के विकास के लिए एक वैकल्पिक मॉडल प्रस्तुत करती है। पाठकों के लिए सरल भाषा में लिखी गई यह पुस्तक जमीनी स्तर से भारत के निर्माण के लिए सिंह के सिद्धांतों का संक्षिप्त सूत्रीकरण है।

सिंह जवाहरलाल नेहरू की आर्थिक नीति रूपरेखा और गांव केंद्रित भारत के मोहनदास गांधी के दृष्टिकोण को नेहरू द्वारा अस्वीकार किए जाने की आलोचना करते हैं। वे भारत के भूगोल, जनसंख्या, जनसांख्यिकी और लोकतांत्रिक मान्यताओं के अनुरूप गांधीवादी नीतियों पर आधारित एक मौलिक रूप से नया नीति खाका प्रस्तुत करते हैं।

उनकी आर्थिक नीति का लक्ष्य कृषि उत्पादन बढ़ाकर, भूमि और पूंजी पर रोजगार के अवसरों को अधिकतम करके, आय असमानता कम करके और श्रम के शोषण से रक्षा करके गरीबी, बेरोजगारी और धन असमानता जैसी तीन प्रमुख समस्याओं का समाधान करना है। सिंह का खाका औद्योगीकरण को कम प्राथमिकता देने और कृषि एवं गांवों को अधिक महत्व देने की सिफारिश करता है। साथ ही, शहरी अभिजात वर्ग द्वारा बनाई गई योजनाओं में सुधार की आवश्यकता पर बल देता है, जो जमीनी हकीकत से मेल नहीं खातीं।

सिंह स्पष्ट करते हैं कि वे औद्योगीकरण के विरोधी नहीं हैं, बल्कि उसे गांवों पर हावी होने देने के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि भारत में पहले से ही बहुत अधिक श्रमबल है, अतः मशीनीकरण का विरोध करते हैं जो श्रम का स्थान ले लेता है। साथ ही, वे विदेशी प्रौद्योगिकी और पूंजी पर निर्भरता को भी कम करने का आग्रह करते हैं, जिस पर अब तक विकास के सभी प्रयास आधारित रहे हैं। उनका गांधीवादी नुस्खा श्रम-प्रधान तकनीकों और छोटे पैमाने पर विकेन्द्रीकृत उत्पादन का व्यापक उपयोग है। यह सब अधिकतर लोकतंत्र पर आधारित होगा, जो पूंजीवादी या साम्यवादी व्यवस्थाओं के शोषण के बजाए स्व-रोजगार को जन्म देगा। 

कृपया ध्यान दें कि हम

- ऑर्डर प्राप्त होने के 1 सप्ताह के भीतर डिलीवरी की जाएगी।
- भारत के बाहर शिपिंग नहीं करते।
- ना ही हम पुस्तकें वापस लेंगे और ना ही पुस्तकों का आदान-प्रदान करेंगे।

आपको यह भी पसंद आ सकता हैं

१९८५, चरण सिंह अभिलेखागार
पेपरबैक
₹ 859
40% off !
- ₹ 343.6
₹ 515.4
२०२०, चरण सिंह अभिलेखागार
पेपरबैक (लाइब्रेरी बॉक्स्ड)
₹ 7,999
25% off !
- ₹ 1,999.75
₹ 5,999.25
१९८२, चरण सिंह अभिलेखागार
पेपरबैक
₹ 199
40% off !
- ₹ 79.6
₹ 119.4
२०२०, चरण सिंह अभिलेखागार
पेपरबैक
₹ 899
40% off !
- ₹ 359.6
₹ 539.4