प्रोफेसर ब्रास ने 'अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया स्टडीज' नमक संस्थान को १९८१ में यह प्रस्ताव लिखा था - यह प्रभंशाली लेख चरण सिंह के राजनैतिक जीवन के महत्व और प्रासंगिकता दोनों को ख़ूब निख़ार कर लाता है, और प्रो ब्रास की तीक्ष्ण दिमाग का भी प्रमाण है। प्रो ब्रास ने भारत की विख्यात "इकनोमिक एंड पोलिटिकल वीकली" पत्रिका में चरण सिंह पर १९९३ मैं महत्त्वपूर्ण लेख (https://www.charansingh.org/hi/archives/2072) के लिए इसी १९८१ रूपरेखा का इस्तेमाल किया, और इसे चरण सिंह पर (तीन खंड में) लिखी जीवनी की नींव भी बनाई (http://chaudharycharansingh.org/books/1743)
प्रो ब्रास लिखते हैं "चरण सिंह के जीवन और राजनीतिक कैरियर के चार पहलू मुझे विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण लगते हैं ... सबसे पहले ... उनका राजनीतिक जीवन भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के सभी स्तरों में शामिल रहा है ... उन्होंने संपूर्ण भारत तथा उसके सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के राजनैतिक इतिहास में कई महत्वपूर्ण बदलावों में केंद्रीय भूमिका निभाई ... दूसरा ... मध्यवर्ती काश्तकारों के प्रवक्ता के रूप में उनकी भूमिका अहम् रही ... [उन्होंने] आधुनिक भारतीय राजनीति की सबसे सफल कृषि आधारित राजनैतिक दल, भारतीय क्रांति दल (बी के डी), की स्थापना की जो बाद में श्रीमती गांधी के विपक्ष का केंद्र बिंदु भी बना। ... तीसरा ... तथाकथित "पिछड़ी जाति" के हितों के साथ उनकी पहचान बनी... पिछड़े वर्गों के साथ उनकी पहचान के संबंध में राजनीतिक दुविधा का सामना भी करना पड़ा : पिछड़ी जातियों की आकांक्षाओं का समर्थन उनकी ख़ुद की राजनैतिक उन्नति में महत्वपूर्ण है, लेकिन कभी-कभी यही समर्थन अभिजात वर्ग और निम्न जाति के समूहों के साथ व्यवहार्य गठबंधन में बाधा बन जाता था। अंतिम पहलू ... उनकी भूमिका भारत में भूमि सुधार, कृषि, और आर्थिक विकास पर कई मूल पुस्तकों के एक लेखक के रूप में, जो कि एक व्यापक तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य लेते हैं और सैद्धांतिक रुचि के होने के साथ-साथ आर्थिक विकास के विद्वानों के लिए महत्त्वपूर्ण है ... (उनकी) १९५९ में रची सबसे महत्त्वपूर्ण पुस्तक "भारत की गरीबी और इसका समाधान" एक सकारात्मक बयान है, जिसमे उन्होंने औद्योगिक विकास की तुलना में कृषि पर आधारित भारत के लिए एक आर्थिक विकास की रणनीति का ठोस प्रस्ताव रखा ... यह पुस्तक निश्चित रूप से भारत के किसी भी प्रख्यात राजनीतिज्ञ द्वारा उत्पादित सबसे उल्लेखनीय प्रबुद्ध प्रकाशनों में से एक है। "
"[चरण सिंह] के राजनीतिक जीवन से यह सवाल उठता है कि विकासशील देश में बीसवीं सदी में एक वास्तविक कृषि आंदोलन एक व्यवहार्य और निरंतर राजनीतिक ताकत में बनाया जा सकता है या नहीं ... क्या छोटे खेतों पर आधारित एक कृषि-आर्थिक व्यवस्था प्रतिस्पर्धा के दबाव के खिलाफ निरंतर हो सकती है की नहीं ... कृषि के बड़े पैमाने पर व्यावसायीकरण के लिए ...। "
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पॉल रिचर्ड ब्रास (जन्म ८ नवंबर , १९३६) http://www.paulbrass.com/ वाशिंगटन विश्वविद्यालय, सीटल, अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के हैनरी एम जैक्सन स्कूल में राजनीति विज्ञान एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध विभाग में बतौर प्रोफ़ेसर इमिरिट्स, १९६५ से पढ़ा रहे हैं। १९५८ में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से 'शासन' में बी. ए. करने के बाद उन्होंने १९५९ में राजनीति विज्ञान में एम. ए. तथा १९६४ में पी.एच. डी. की उपाधि शिकागो विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
पॉल ब्रास का भारत से काफी लम्बे समय से सम्बन्ध रहा है जब वे भारत विषय पर विख्यात विद्वान एवं राजनीति विज्ञानी प्रोफेसर माइरोन वार्नर के शोध विद्यार्थी के रूप में सितंबर १९६१ में लखनऊ आये और फिर कुछ समय तक उन्होंने वहीँ निवास किया। यह वही समय था जब पॉल की पहली पुस्तक (पॉल ने भारत से सम्बंधित १८ पुस्तकों की रचना की है ), "फैक्शनल पॉलिटिक्स इन एन इंडियन स्टेट" (१९६५), वास्तव में उनकी पी.एच. डी. उपाधि के निमित्त प्रस्तुत शोध प्रबंध पर आधारित थी। पुस्तक में उत्तर प्रदेश में १९६० के दौर में व्याप्त राजनीति एवं राजनीतिज्ञों की जटिल स्थितियों के मद्देनजर गरिमामय विश्लेषण प्रस्तुत किया है। इस दौरान पॉल के चरण सिंह से जीवनभर के लिए सम्बंध बन गए और दोनों एक दूसरे के निकटतम हो गए।पॉल चरण सिंह के प्रति स्वघोषित प्रशंसक हैं लेकिन साथ ही उन्होंने उनकी आलोचना से भी गुरेज नहीं किया है।