चरण सिंह और कांग्रेस राजनीती, एक भारतीय राजनीतिक जीवन, १९५७ से १९६७ तक, खंड २

२०२३, चरण सिंह अभिलेखागार
लेखक
पॉल रिचर्ड ब्रास

यह खंड चरण सिंह के कांग्रेस के प्रति बढ़ते असंतोष के बारे में बताता है, जो नेहरू और उनकी बेटी के उनके प्रति विरोध और उत्तर प्रदेश (यूपी) में कांग्रेस का प्रमुख पार्टी के स्थान से पतन की वजह से बढ़ता गया और परिणामस्वरूप उन्होंने दल बदला और आखिरकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक नई राजनीतिक पार्टी बनाई।

इससे पहले के खंड की ही तरह, यह पुस्तक भी मुख्य रूप से चरण सिंह के राजनीतिक करियर के दौरान लेखक के उनसे अपने व्यक्तिगत संबंधों, बड़ी संख्या में चरण सिंह की राजनीतिक फाइलों तक पहुँच और पिछले 50 वर्षों में राजनेताओं, अन्य सार्वजनिक षख्सियतों, किसानों और अन्य लोगों के साथ लेखक के निजी साक्षात्कारों पर आधारित है। यह सुचेता कृपलानी के मुख्य मंत्री कार्यकाल का लेखा-जोखा भी प्रदान करती है जो गुटबाजी के संघर्ष के कारण राजनीतिक दृष्टि से एक बाहरी व्यक्ति होते हुए भी सत्ता में आईं। साथ ही उत्तर प्रदेश में क्षेत्रवाद की पृष्ठभूमि की भी यह पुस्तक पड़ताल करती है और उत्तर भारत के राज्यों के पुनर्गठन के मुद्दे पर चरण सिंह की उस भूमिका पर भी प्रकाश डालती है, जिसके बारे में अब तक कम ही जानकारी उपलब्ध थी।

यह पुस्तक ‘उत्तर भारत की राजनीतिः 1937 से 1987 तक’ पर कई खंडों में लिखी गई श्रृंखला का द्वितीय खंड है।

पॉल आर. ब्रास वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, सीएटल, यूएसए में राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के प्रोफेसर (अवकाश प्राप्त) हैं।

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