१९३९ में चरण सिंह ने पार्टी की कार्यकारी समिति को लिखे पत्र में प्रांतीय राजस्व में कृषिविदों का योगदान ८० प्रतिशत होने के बावजूद भी सरकारी सेवाओं में उनके कम प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाया। उनका कहना था की पार्टी को सरकार से यह मांग करनी चाहिए कि कार्यकुशलता पर ध्यान देते हुए किसानों के बेटों या आश्रितों को ५० प्रतिशत नौकरियों की गारंटी दी जानी चाहिए।
यह भी तय किया जाना था कि अनुसूचित जातियों के मामले को छोड़कर, शैक्षणिक संस्थानों या सार्वजनिक सेवाओं में प्रवेश लेते समय हिंदू उम्मीदवार की जाति नहीं पूछी जानी चाहिए।