उत्तर प्रदेश में नए चुनाव कराने या न कराने का मामला अभी तक सुलझा नहीं था। सी.बी. गुप्ता के नेतृत्व में कांग्रेस और एसवीडी स्पष्ट बहुमत के अपने दावों को फिर से दोहरा रहे थे। विशेष रूप से एसवीडी फिर से चुनाव नहीं चाहता था और दावा करता था कि उसका बहुमत सदन में साबित हो जाएगा। हालांकि, राज्यपाल ने इन सुझावों पर ध्यान नहीं दिया और विधानसभा को भंग कर दिया, तथा आगामी वर्ष में नए चुनाव कराने की घोषणा की।