स्वतंत्र पार्टी के साथ "विलय" की वार्ता फिर विफल, चरण सिंह ने स्पष्ट किया कि उनकी मांग केवल गठबंधन या विलय की नहीं थी, बल्कि कांग्रेस और जनसंघ तथा कम्युनिस्टों जैसे "अधिनायकवादी" मोर्चों के अलावा अन्य दलों को एक व्यापक आधार वाली गांधीवादी और लोकतांत्रिक पार्टी में विघटित करने की थी।