सत्ता में फेरबदल के लिए इंदिरा गांधी ने इस बार पूर्व कांग्रेसियों को पार्टी में वापस आने का न्योता दिया। चरण सिंह से जवाब की उम्मीद थी, लेकिन वे अपने सिद्धांतों पर स्पष्ट थे और प्रस्ताव के प्रति उदासीन थे। करण सिंह वर्मा को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा कि अगर कोई पार्टी में वापस लौटता है, तो जनता का राजनीतिक नेताओं पर से भरोसा पूरी तरह खत्म हो जाएगा। कांग्रेस के साथ नीतिगत मतभेद अपरिवर्तित रहे। १९वीं बीकेडी बैठक में एक बार फिर इस रुख की पुष्टि की गई। यह भी उल्लेख किया गया कि पीएसपी और स्वतंत्र जैसी अन्य पार्टियों के साथ विलय की बातचीत भी स्थगित कर दी गई। सितंबर के अंत तक एसवीडी को नवीनीकृत करने का कदम एक मृत पत्र लग रहा था।