चरण सिंह पर पुस्तकें

१९६७ से कांग्रेस विरोधी उभार, उत्तर भारत में पिछड़ी जातियों के उभार और जनता को सामूहिक रूप से कांग्रेस से दूर ले जाने वाले आंदोलनों में चरण सिंह की भूमिका को लेकर विद्वानों द्वारा कई पुस्तकें लिखी गई हैं। इनमें से कुछ राजनेताओं द्वारा भी लिखी गई हैं, जिनमें से कुछ ने उनकी भूमिका को भी उल्लेखित किया है ( उदाहरणार्थ मधु लिमये ) । कुछ जीवनियां भी हिन्दी में स्थापित विद्वानों द्वारा लिखी गई हैं। बहुत सी दरबारी भाव से विरुदावली की तरह लिखी गई हैं, जैसी कि भारत में चापलूसी की परंपरा है। अंतिम तरह के लेखन को वे बेहद नापसंद करते थे और चाहते थे की उनके योगदान का वस्तुपरक अध्ययन किया जाये। पॉल ब्रास ने १९८१ में उन पर इसी प्रतिबद्धता से लिखने का बीड़ा उठाया और अपनी इसी प्रतिबद्धता के साथ वह चरण सिंह की जीवनगाथा (२०११ से २०१४) के बीच ३ खण्डों में सामने लाये।इन पुस्तकों के लिंक नीचे दिए गए हैं।

मेरे विचार से चरण सिंह का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (१९२९ से १९६७ तक) और भारतीय क्रांति दल (१९६७ से १९७४ तक) का दौर-- उस काल खण्ड सहित, जब वह अपनी महत्वपूर्ण बौद्धिक एवं प्रशासनिक उपलब्धियों के शिखर पर थे और जहाँ उनके पास बहुत सारे विरोधियों के बावजूद परिणाम दिखाने के अवसर मौजूद थे-- अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उनके १९७४ के बाद के अवतार ने राष्ट्रीय मंच पर बतौर एक राजनेता उनकी राष्ट्रीय पहचान में तो वृद्धि की किन्तु अब कलह और कड़वाहट अधिक थी और प्रत्यक्ष परिणाम कम थे। इन दो कालखण्डों के बीच एक दीवार है, जिसे कि लोग (प्रैस, शिक्षित अभिजात्य, शहरी मध्यवर्ग, दिल्ली की राजनीतिक व्यवस्था) उत्तर प्रदेश में जहाँ वह १९७४ तक रहे, उनकी अग्रणी उपलब्धियों को न ही जानते हैं, न ही जानना चाहते हैं । उन्होंने खुद भी १९७४ में महसूस किया की वह राष्ट्रीय मंच पर बहुत देर से आये हैं। जब उन्होंने भारतीय लोक दल का गठन किया, वह ७२ वर्ष के हो चुके थे और एक भरापूरा राजनीतिक जीवन जी चुके थे।

उनकी पुस्तक "इंडियन पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशन" उनके पहले कालखण्ड में लिखी गई थी, जब वे १९५९ में उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल से बाहर थे। उन पर लिखी अधिकांश पुस्तकें, चाहे वह प्रशंसा-भाव से हों या अन्य उद्देश्य से, अधिकांशतः १९७४ से १९७७ और १९८० के कालखण्ड से सम्बंधित हैं, जिस समय वे भारत के उच्च राजनीतिक पदों- जैसे केंद्रीय गृहमंत्री, वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री- पर आरूढ़ थे।

हम पहली बार उनके समस्त लेखन को, निःशुल्क डाउनलोड करने की सुविधा सहित, आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।

हर्ष सिंह लोहित

१९७८, जयदेव शर्मा
१९८६, अनिरुद्ध पाण्डेय
१९९२, लेखक का नाम
1993, Lok Sabha Secretarait
1993, Capt.R.S.Rana
2013, G Ramachandran